Friday, February 13, 2009

माँ

सबकी माँ ,

यानि हां में हां,

कभी नही ना |

Thursday, February 12, 2009

घड़ी

हाँ , आपने घड़ी देखी है ,
मैंने भी देखी है ,
आपने घड़ी में सिर्फ़ समय देखा है ,
लेकिन मैंने
घड़ी में बहुत कुछ देखा है ,
मैंने घड़ी में देखा है - एक परिवार |
घड़ी में - सेकंड का काटा है - बच्चे ,
मिनिट का काटा याने बड़ा काटा है - पति
घंटे का काटा याने छोटा काटा है - पत्नी
ये काटे नही तो घड़ी नही|
सेकंड का काटा बच्चों की तरह फुदकता रहता है ,
सेकंड का काटा ना हो तो भी घड़ी रहती है ,
हाँ, लेकिन हर क्षण को नही जाना जा सकता है|
बड़ा
काटा पूरा एक चक्कर लगाता है,
तब छोटा काटा एक कदम चलता है ,
लेकिन यह भी सही- है कि छोटे काटे बगैर घड़ी का कोई महत्त्व नही है ,
क्योंकि जब कोई समय पूछता है,
तो
हम पहले देखते है कि - छोटा काटा कितने पर है!
बड़ा काटा दिन भर छोटे काटे का चक्कर लगाता है ,
लेकिन यदि छोटा काटा रुक गया या बिगड़ गया तो आपका समय ख़राब |

Wednesday, February 11, 2009

विचित्र वर्गीकरण

जिंदगी --------
उदास, विचित्र, शुन्य ---किसी के लिए |
सरल , उज्जवल---किसी के लिए |
कुछ भी नही--- किसी के लिए |
सब कुछ--- किसी के लिए |
मौत----------
एक समान सब के लिए |

पहला कदम

सभी को सादर नमन ,
कई वर्षों से सोचता हूँ लिखूं ,लेकिन लिख नही पाया,
जाने कैसे मेरी बहनों ने कर दिखाया,
अब मै भी शरमाया ,छोडी हया लिखने आया,
इतना लिखने मे ही बहुत मजा आया|
अब समझ में आया , थोड़ा सा दिमाग लगाया और लिखना आया ,
इसमे मुझे किसी ने नही समझाया ,जो लिखा अपने आप आया
चलो अब इसी में संतोष है की आज कुछ तो पाया|